कल शाम आँख से एक आंसू नीकल पड़ा था ,
हमने पूछी वजह तो कहने लगा था
आये थे जब तो न सोचा था इस दीन के बारे में
जो अचानक राह के बीचोंबीच पडा था ||
कल लगा था जींदगी शुरू हुई है
कल देखा तो यम् बाहें फैलाये खड़ा था
क्या पाया क्या खोया कुछ न याद रहा
बस अचानक दिल तड़प उठा था ||
लम्हे खुशियों के अनगिनत थे
पर कल लगा वो भी कम थे
मन ने कहा ये शाम फीर ना आये
पर सूरज डूबने को तैयार खड़ा था ||
Coz I Still Haven't Found... What I'm Looking For
10 years ago
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